ऊंचाहार में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरे जोर-शोर से चल रहा है। यह एक्सप्रेसवे प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग साबित होगा। हालांकि, इसके निर्माण के दौरान कई चुनौतियां और समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऊंचाहार क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण में लगे डंफर (Dumper) वाहनों ने जानलेवा स्थिति पैदा कर दी है, जिससे स्थानीय लोगों और मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
डंफर वाहनों की बढ़ती दुर्घटनाएं
गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण में बड़ी मात्रा में मलबा और निर्माण सामग्री ढोने के लिए डंफर वाहनों का उपयोग किया जा रहा है। ये वाहन अक्सर ओवरलोड होते हैं और तेज गति से चलते हैं। ऊंचाहार क्षेत्र में संकरी और खराब सड़कों के कारण इन वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएं बढ़ गई हैं। कई बार ये वाहन पलट जाते हैं या सड़क किनारे खड़े लोगों और मजदूरों को चपेट में ले लेते हैं। इससे जान-माल का नुकसान हो रहा है।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी
निर्माण कार्य में लगी कंपनियों द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। डंफर वाहनों के चालकों को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है, और वाहनों का रखरखाव भी ठीक से नहीं हो रहा है। इसके अलावा, निर्माण स्थल पर सुरक्षा उपकरणों और चेतावनी संकेतों की कमी है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।
स्थानीय लोगों की परेशानी
ऊंचाहार के स्थानीय निवासियों ने डंफर वाहनों की वजह से हो रही दुर्घटनाओं और शोर-शराबे की शिकायत की है। गांवों से गुजरने वाले ये वाहन अक्सर सड़कों को खराब कर देते हैं और धूल-मिट्टी से पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को नजरअंदाज किया जा रहा है।

सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण देश के विकास के लिए जरूरी है, लेकिन इसके निर्माण के दौरान सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी मानकों का पालन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे निर्माण कार्य में लगी कंपनियों पर सख्त निगरानी रखें और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। साथ ही, स्थानीय लोगों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उनके हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए।