रायबरेली: शहर की हवा को साफ करने के लिए 10 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए गए, लेकिन नतीजा उलटा निकला। 2024 में देश के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में पहला स्थान पाने वाला रायबरेली इस बार सातवें नंबर पर फिसल गया। यानी पैसे पानी की तरह बहाए गए, लेकिन हवा पहले से भी ज्यादा खराब हो गई।
क्यों बिगड़ी रायबरेली की हवा?
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत नगर पालिका ने सड़क निर्माण, सफाई व्यवस्था और पौधरोपण जैसे कामों पर खर्च किया। लेकिन रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि ज्यादातर काम सिर्फ कागजों में ही रह गए।
मुख्य वजहें:
- टूटी-फूटी सड़कें: जेल रोड, मधुबन रोड और नया पुरवा रोड जैसी अधिकांश सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। गाड़ियों के गुजरते ही धूल का गुबार उड़ता है।
- कूड़ा कलेक्शन ठप: वार्डों से पूरी तरह से कचरा नहीं उठाया गया। रोड स्वीपिंग मशीन होने के बावजूद सफाई का असर नजर नहीं आता।
- नाम मात्र का पौधरोपण: पौधे लगे या नहीं, कोई देखने वाला नहीं।
- बिजली कटौती ने बिगाड़ा खेल: सर्वेक्षण टीम के आने के दौरान सिर्फ 7 मिनट की बिजली कटौती से भी अंक घट गए।
अधिकारियों का दावा – अगली बार फिर नंबर 1 लाएंगे
स्वच्छ भारत मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक मो. आरिफ ने बताया कि बिजली कटौती के कारण अंक कटे, जिससे रैंकिंग गिरी। वहीं नगर पालिका परिषद रायबरेली के ईओ स्वर्ण सिंह ने दावा किया कि कमियां दूर कर 2026 में फिर पहला स्थान लाया जाएगा।